डॉ. लक्ष्मी शंकर मिश्र 'निशंक' (21.10.1918 - 30.12.2011) |
उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान भारत-भारती से सम्मानित पंडित लक्ष्मी शंकर मिश्र निशंक का जन्म 21 अक्टूबर 1918 को भागवत नगर, हरदोई में हुआ था। निशंक जी के पिता का नाम पंडित रामशंकर मिश्र और माता का नाम श्रीमती रामप्यारी था। निशंक जी ने 1948 में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और 1950 में आगरा विश्व विद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर की उपाधि [साहित्य रत्न हिन्दी] अर्जित की। निशंक जी ने सन 1964 डॉ. भागीरथ मिश्र के निर्देशन में हिन्दी में सवैया साहित्य पर अपना शोध प्रबन्ध पूर्ण किया। जीविका के लिए उन्होंने अध्यापन के पेशे को चुना और कान्यकुब्ज कॉलेज, लखनऊ (वर्तमान में जे.एन.पी.जी. कालेज) में वर्ष 1956 से 1979 तक अध्यापन कार्य किया।
निशंक जी मूलत: कवि के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने लम्बे समय तक हिन्दी कवि सम्मेलनों में अपनी धाक जमाये रखी। आपके गीतों में छायावादी तेवर और कलेवर के दर्शन प्राप्त होते हैं। प्रेम और दर्शन भी आपके गीतों की प्रमुख विशेषताएं हैं। लेकिन जब आप दोहों के क्षेत्र में आते हैं, तो समकालीन चेतना, पर्यावरण की चिंता, राजनीति, भ्रष्टाचार और व्यवस्था पर कुशलतापूर्वक अपनी कलम चलाते हैं।
निशंक जी हिन्दी ब्रज और अवधी भाषाओँ के समर्थ कवि हैं। आपकी गीत, छन्द, दोहे, व्यंग्य, मुक्त छन्द, गद्य आदि विधाओं में अकूत मात्रा में सृजन किया है। निशंक जी की कुछ कृतियाँ पाठ्यक्रमों में भी स्वीकृत हैं। साहित्य सृजन के अतिरिक्त निशंक जी ने अनेक पत्रिकाओं और पुस्तकों का सम्पादन भी किया है, जिनमें 'माधुरी' पत्रिका के 'कवि अंक' (विशेषांक जनवरी 1947), ज्योति पत्रिका के 'जागरण अंक' (1963), कवि सम्राट सनेही जी की स्मृति में प्रकाशित 'सुकवि विनोद' काव्य मासिक (अगस्त 1973 से 1983 तक) का सम्पादन, यू.पी. बोर्ड द्वारा हाई स्कूल पाठ्यक्रम के लिए प्रकाशित एकांकी नाटक संग्रह 'रंग भारती' आदि प्रमुख हैं।
लक्ष्मीशंकर मिश्र निशंक जी अपनी साहित्य साधना के लिए अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित हुए, जिनमें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ साहित्य भूषण (1997) और भारत भारती सम्मान (1999) प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त आपको लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के स्वर्ण जयंती के अवसर पर विभागीय गौरव सहित अनेक सम्मानों से विभूषित किया गया।
निशंक जी ने अपने जीवन काल में अकूत मात्रा में साहित्य का सृजन किया है। उनकी प्रकाशित कृतियाँ निम्नानुसार हैं:
प्रबन्धकाव्य
सुमित्रा (1989),
खंडकाव्य
सिद्धार्थ का गृह त्याग (1950), शांति दूत (1970), जयभारत (1971), कर्मवीर भारत (1976), संकल्प की विजय (1997),
आत्मकथा काव्य
प्रज्ञा उद्भास (विभीषण की आत्मकथा)
मुक्तक काव्य
शतदल (1952) उत्तर प्रदेश शासन से पुरस्कृत, क्रांतिदूत राना बेनी माधव (1971), साधना के स्वर (गीत काव्य-1976), अनुपमा (छन्द मुक्तक-1977), शंख की साँस (कविता संग्रह-1982), दर्पण (दोहावली-1992), रामलला की किलकारी (छन्द मुक्तक-1995), मेरी आरम्भिक कविताएँ (1998), तुणीर (व्यंग्य काव्य-1999),
ब्रज भाषा काव्य: प्रेम पियूष (1971), बांसुरी (1983),
अवधी काव्य: पुरवाई (2004),
गद्य साहित्य: साहित्यकार का दायित्व (निबंध संग्रह-1985), संस्मरणों के दीप (संस्मरण 1996)